बजट: ‘नए भारत की आर्थिकी’
सर्वस्पर्शी बजट को उकेरने में वित्त मंत्री ने भारत के ग्रामीण और किसान वर्ग की अपेक्षाओं को जिस कुशलता से रचा है, वह वास्तव में आश्चर्यजनक है। अगर मैं कहूँ कि यह बजट धरतीपुत्र व ग्राम-सुराज को समर्पित है तो गलत नहीं होगा। एक सिद्वांत के तौर पर समर्थन मूल्य को लागत के डेढ़ गुणा करके स्वीकार करना, एक बड़ा कदम है। यह आलोचना कि जब तक किसान के पास विपणन की सुविधा नहीं होगी समर्थन मूल्य का कोई मतलब नहीं है, इसका उपाय करते हुए 22 हजार ग्रामीण हाट की व्यवस्था की गई। कृषि व ग्रामीण क्षेत्र पर 14 लाख करोड़ का व्यय एक बेहद महत्वपूर्ण कदम है। नीति आयोग व राज्य साथ मिलकर कृषि विपणन में संस्थाागत सुधार कर पायेंगे, यह इस बजट की नीतिगत उपलब्धि है। सक्रेंद्रित फंड्स को कृषि से जोड़कर मत्स्य, पशुधन इत्यादि के लिए निवेश करना बड़े कदम हैं। इन सब उपायों से ग्रामीण सड़क, सिंचाई, बिजली और अन्य स्वास्थ्य सुविधा जोड़कर देखें तो नये भारत का उदय ग्रामीण भारत से होता ही दिख रहा है। यह बहुत महत्वपूर्ण बात है कि राजकोषीय घाटे को 3.3 प्रतिशत पर रखते हुए निवेश व सामाजिक क्...