मोदी सरकार : विचार व नवाचार की सरकार

अपेक्षाओं की एक सुनामी के साथ चार वर्ष पूर्व केन्द्र की मोदी सरकार ने ‘सुराज’ सरकार के रूप में शपथ ली थी। यह सरकार कई अर्थों में पिछली किसी भी सरकार से भिन्न थी। चूँकि यह उत्कट जनाकांक्षा के आधार पर बनी हुई सरकार थी। इसलिए भी कि इस सरकार का नेतृत्व करने वाला व्यक्तित्व सुराज की सफलता के कीर्तिमान पहले ही गुजरात में स्थापित कर चुका था। यही कारण है कि अपेक्षाऐं और भी गहरी और विराट थीं। प्रासंगिक है कि कुछ पक्षों पर दृष्टिपात हो। पहला तो हर दृष्टि से इस सरकार को नवाचार की सरकार कहा जाना चाहिए। प्रधानमंत्री जी ने स्वयं को प्रधानसेवक कहते हुए जो शुरूआत की, तो हर प्रयोग ही नवप्रवर्तन से भरा हुआ रहा। चाहे ‘स्वच्छता अभियान’ हो या ‘बेटी बचाओ - बेटी पढ़ाआ’े अभियान, जिसने बाद में एक आन्दोलन का रूप ही ले लिया। ऐसे सभी कार्यक्रमों में जन-सहभागिता एक प्रमुख घटक था। गाँधी और विनोबा के बाद भारत में ऐसे प्रयोग क्वचित ही हुए। विचार-परिवार ने सदा ‘राज नही समाज बदलना’ है, इसकी बात की थी। मोदी सरकार ने इस अवधारणा को मूर्त रूप देने में कोई कसर नहीं रखी। एक ओर विचार की ‘सत्ता’ पर विश्वास रखते ह...